काशी का पिशाचमोचन पोखरा, जिसे पितृ पक्ष में पिंडदान के लिए पवित्र और महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है, इन दिनों गंभीर पर्यावरणीय संकट से गुजर रहा है। श्रद्धालुओं द्वारा लगातार अन्न, फूल, कपड़े और पूजन सामग्री पोखरे में डालने से पानी पूरी तरह प्रदूषित हो गया है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि पोखरे का पानी काला पड़ गया है और उसमें हजारों की संख्या में मछलियां मरकर सतह पर तैर रही हैं।मर चुकी मछलियों से उठ रही तेज दुर्गंध ने आसपास का माहौल असहनीय बना दिया है। श्रद्धालु, जो आस्था और परंपरा के कारण यहां पिंडदान करने आते थे, अब खुद ही यहां रुकने से बच रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है और नगर निगम की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
पंडा समाज और स्थानीय लोग प्रशासन से तुरंत सफाई कराने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर साल पितृ पक्ष में यहां लाखों लोग आते हैं, लेकिन सफाई और जल शुद्धिकरण की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं की जाती। यही कारण है कि आस्था का यह स्थल धीरे-धीरे प्रदूषण और गंदगी का अड्डा बनता जा रहा है।पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि पोखरे की तत्काल सफाई और जल शुद्धिकरण जरूरी है, लेकिन यह केवल अस्थायी समाधान होगा। लंबे समय तक इस समस्या से बचने के लिए जैविक पिंडदान स्थल का निर्माण करना आवश्यक है। इससे श्रद्धालु अपनी परंपरा का निर्वाह भी कर सकेंगे और जल का प्रदूषण भी नहीं होगा।इस घटना ने नगर निगम और प्रशासन की लापरवाही को एक बार फिर उजागर कर दिया है। वाराणसी जैसी धार्मिक नगरी में जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, वहां ऐसी मूलभूत व्यवस्थाओं का न होना चिंता का विषय है। लोग सवाल उठा रहे हैं ।